किसे डराती है दुनिया और किसे सलाम करती है,
जो भी करती है अपने मतलब से करती है।
नीति को राजनीति सिखाती है,
भ्रष्टों को मालाएं पहनाती है,
निभाती है हर फ़र्ज़ वो बातोँ से,
फिर बातोँ के बाण क्या खूब चलाती है ।
दिखावा दान का दिखाकर मान दिलाती है,
सज्जनों को अपमान चखाती है,
नया मुक़ाम गढ़ने की ख़ातिर वो,
फिर एक खोखला मुक़ाम दिखवाती है ।
छत एक पर फ़्लैट कई चढाती है,
घरों को मकाँ और दिलों को बेजां बनाती है,
लेकर आ जाती है कुत्तों को घर में,
और बूढ़ों को आश्रम पहुँचाती है ।
अपनेपन की भाषा कहाँ समझती है,
हर बात तो शक से तोली जाती है,
अपनों से ही बैर लिये वो गैरों को अंग लगाती है,
इस तरह फिर एक दीप से अग्नि भड़काई जाती है।
निभाई जाती है दुश्मनी बड़ी निष्ठा से,
पीठ पर घाव बारम्बार करवाती है,
प्रेम और द्वेष में वो कहाँ भेद कर पाती है,
फिर श्वेत भेष में सियाह रूप वो कहाँ पहचान पाती है ।
किसे डराती है दुनिया और किसे सलाम करती है,
ये दुनिया है साहब,
जो भी करती है अपने मतलब से करती है ।।
Ausm
Fab♥️