मजदूर और हालात…
मजबूरी में जो निकला घर से कुछ मजदूरी करने,वही रह गया तकता देखो, इन हालातों में मरने। रोज़ी-रोटी ने उसे कितना दूर करवाया हैबचपन के यारों ने आज उसे घर…
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मजदूर और हालात…
मजबूरी में जो निकला घर से कुछ मजदूरी करने,वही रह गया तकता देखो, इन हालातों में मरने। रोज़ी-रोटी ने उसे कितना दूर करवाया हैबचपन के यारों ने आज उसे घर…
जतन तो बहुत करते हैं ख्वाहिशों को हम लोग हक़ीक़त में बदलने की, पर किसी मर्तबा राह बदल जाती है तो कहीं ख्वाहिश का गला घोटना पड़ता है। ऐसा नहीं…