मजदूर और हालात…
मजबूरी में जो निकला घर से कुछ मजदूरी करने,वही रह गया तकता देखो, इन हालातों में मरने। रोज़ी-रोटी ने उसे कितना दूर करवाया हैबचपन के यारों ने आज उसे घर…
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मजदूर और हालात…
मजबूरी में जो निकला घर से कुछ मजदूरी करने,वही रह गया तकता देखो, इन हालातों में मरने। रोज़ी-रोटी ने उसे कितना दूर करवाया हैबचपन के यारों ने आज उसे घर…
ये जो आज भागमभाग भरी डिजिटल ई-मेल, लिंक्डइन, ऑनलाइन शॉपिंग, ग्रॉसरी, मार्केटिंग, वाली जिन्दगी गुज़र रही है ना जो सुखद और सुफल लगती है वास्तव में इसने इंसान को चहुँ…
'भौतिकवाद' ये शब्द कहने को तो अपने आप में ही बड़ा सार्थक है, जिसकी परिभाषा तो कहती है कि पँच-भूतों से मिलकर बने इस संसार को ही सत्य और वास्तविक…